अंतिम दिन यह दुनिया
कविता होगी
अंतिम वृक्ष
प्रीत के मरुस्थलों
निपजेगी केवल प्रीत
चिड़िया लेगी फिर विश्राम
वृक्षों की रेशमी छाँव में ।
पहले दिन की तरह
अंतिम दिन यह दुनिया-
फिर से तेरी मेरी होगी ।
अनुवाद- नीरज दइया
(माल चंद तिवाडी राजस्थानी कवियों की युवतर पीढी के सबसे सम्मानित,महत्वपूर्ण और विख्यात प्रतिनिधि हैं ,कहानियाँ भी उसी धार और प्रवाह से लिखते हैं ,बीकानेर में रिहायश वैसे उपस्थिति ग्लोबल .)