भाई दुष्यंत ! आपका ब्लॉग ''रेत राग '' पढ़ा, दिल को छू गया !शब्दों का ताना बना बुनना तो कोई आपसे सीखे!! राजूराम बिजारनियाँ ''राज'' लूनकरनसर (बीकानेर ) www.rajbijarnia.blogspot.com raj_slps@yahoo.com
बतौर दुष्यंत भी वजूद बचा रहे तो गनीमत है , अलग अलग शहरों में अलग अलग लिबास पहन कर भटकता रहा हूँ,राजस्थान के जिले श्रीगंगानगर की पैदाईश, फ़िर जयपुर आ गया,१९९४ से यहाँ हूँ बीच में पीलीबंगा, सादुलशहर, दिल्ली,बीकानेर, मुंबई होते हुए फ़िर जयपुर में हूँ,कभी पढने और पढाने के लिए तो कभी रिसर्च के नाम पर,कभी यूँ ही शहर दर शहर. पंद्रह सालों से अपनी ज़मीन से दरबदर हूँ,शायद किसी नयी ज़मीन की तलाश में .. पढ़ाई के नाम पर इतिहास मे पीएच.डी.,पांच साल पढाया-शोध किया और कुलमिलाकर दसेक साल पत्रकारिता में हो रहे हैं, कभी नफीस संजीदा अकेडमिक हूँ तो कभी खांटी पत्रकार..तो कभी गंगानगरी खडूस भी हूँ.. लिखना शौक भी है, पेशा भी, तजर्बे करते करते शायद मेरी जिन्दगी ख़ुद एक तजर्बे में तब्दील हो गयी है,वो जावेद अख्तर ने कहा है ना - ' क्यों डरें कि जिन्दगी में क्या होगा ,कुछ ना होगा तो तजरूबा होगा.'
मेरी ताकत ये है ख़ुद के अलावा किसी से डर नहीं लगता और कमजोरी ये कि जिद्दी बहुत हूँ.. जब लगे कि ख़ुद सही हूँ तो किसी से भी भिड सकता हूँ बिना अंजाम की परवाह किए क्योंकि ठान रखा है और जानता हूँ कि भूखा मर नहीं सकता और अमीर होके मरना प्राथमिकता में नहीं है
2 टिप्पणियां:
भाई दुष्यंत !
आपका ब्लॉग ''रेत राग '' पढ़ा,
दिल को छू गया !शब्दों का ताना बना बुनना
तो कोई आपसे सीखे!!
राजूराम बिजारनियाँ ''राज''
लूनकरनसर (बीकानेर ) www.rajbijarnia.blogspot.com
raj_slps@yahoo.com
rajasthani bhasha ke prati aapka sneh saraahniya hai.!!
Shubhkaamnaen!!
एक टिप्पणी भेजें